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शिमला। गाड़ी पर पद्नाम की प्लेट लगाना गैर कानूनी है। यह ट्रैफिक नियमों की सीधे तौर पर अवहेलना है। लेकिन इस नियम को आम आदमी नहीं बल्कि आला अफसर और नेता ही तोड़ रहे हैं। गाड़ी में सिर्फ पहचान चिन्ह लगाया जा सकता है लेकिन सरकारी से लेकर निजी गाडि़यों तक में बड़ी-बड़ी पद्नाम की प्लेटें लगी हैं। चाहे वह कमिश्नर रैंक के अफसर हों या फिर पुलिस अफसर। अफसरशाही में ऐसे अच्छे खासे अधिकारियों की लंबी सूची है जो नेम फेम के मोह को चाहकर भी नहीं छोड़ पा रहे।
डीसी दफ्तर परिसर की पार्किगिं में ऐसी कई सरकारी गाडि़यां हैं जहां नंबर प्लेट के साथ पद्नाम प्लेट लगी हुई देखी जा सकती हैं। गाडि़यों पर पुलिस, प्रेस, आर्मी, किसी संस्था का पदाधिकारी, राधा स्वामी और सोनू मोनू इत्यादि लिखवाना नियम को तोड़ना है। गाड़ी के शीशे पर कुछ नहीं लिख सकते। बावजूद इसके गाडि़यों में यह सब लिखा रहता है। ट्रैफिक नियम में प्रावधान है कि ऐसी गाड़ी मिलने पर पुलिस 177 के तहत चालान कर सकती है। इसमें 100 से लेकर 300 रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।
ऐसे में कौन करेगा इन पर कार्रवाई
शिमला। शहर में कानून चलाने वाले ही कानून तोड़ने में लगे हैं। इन्हें रोके कौन? साहब लोग हैं अगर थोड़ी सी हील हुज्जत हुई तो नौकरी पर बन आएगी। इनक्वायरी के ऐसे फेर में फंसा देंगे कि बाल सफेद हो जाएंगे जांच में क्लीन चिट लेते-लेते। कानून की अनुपालना करवाने वाले ही नियम को तोड़ेंगे तो फिर उन पर कार्रवाई कौन करेगा। इसलिए जो चल रहा है उसे चलने दो। जानबूझ कर अंधा बनकर ही नौकरी सलामत है। यह कहना है उन कानून के प्रहरियों का जो रात दिन ट्रैफिक नियमों की अनुपालना करवाने के लिए किसी भी चौराहे और सड़कों के किनारे आप को ड्यूटी बजाते हुए नजर आ जाएंगे।
‘नंबर के अलावा कुछ नहीं लगा सकते’
शिमला। डीएसपी ट्रैफिक पुनीत रघु ने कहा कि सरकारी या निजी वाहन पर नंबर प्लेट के अलावा आप कुछ नहीं लगा सकते। कुछ के लिए छूट है वह भी केवल अपने वाहनों में पहचान चिन्ह लगा सकते हैं। इसमें राजभवन और उच्च न्यायालय की गाडि़यों सहित एंबुलेंस शामिल है। कोई अफसर गाड़ी पर पदनाम की पट्टिका नहीं लगा सकते। गाड़ी में पुलिस और प्रेस लिखना गलत है। इस तरह के वाहन मिलने पर ट्रैफिक पुलिस चालान कर सकती है।
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